Sunday, July 13, 2025
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मखाना के वैश्विक व्यापार में Zerodha के को फाउंडर Nikhil Kamath ने अपनाई नई रणनीति

by KhabarDesk
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Nikhil Kamath : जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ, अब मखाना उद्योग को वैश्विक बाजार में एक नई पहचान देने जा रहे हैं। निखिल कामत ने हाल ही में मखाना उद्योग की बढ़ती संभावनाओं पर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने मखाने को एक उभरते हुए सुपरफूड के रूप में देखा है, जो न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लोकप्रिय हो रहा है। कड़ी मेहनत से खड़ी की गई मखाना व्यापार की कीमत 3 हजार करोड़ है, जो आगे चलकर 2 से 3 साल में 6 हजार करोड़ होने की संभावना है। निखिल कामथ ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में मखाने के प्रति अपनी रुचि व्यक्त करते हुए कहा, “शायद यहां एक बड़ा भारतीय ब्रांड बनाने की गुंजाइश है, जो दुनिया को मखाना बेचेगा। व्यक्तिगत रूप से, मैं मखाने का दीवाना हूं।” निखिल कामत मखाने को  वैश्विक बाजार में एक बड़े ब्रांड के तौर पर शुरु करना चाहते हैं।

मखाना उद्योग जिसे सफेद मोती के नाम से जाना जाता है:

मखाना, जिसे फॉक्सनट के नाम से भी जाना जाता है, मुख्यतः बिहार में उगाया जाता है, जो विश्व उत्पादन का लगभग 90% हिस्सा है। बिहार में मखाना का उत्पादन 10 जिलों में होता है। ये जिले हैं, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढी, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा। इन जिलों में से मधुबनी, दरभंगा और पूर्णिया मखाना के उत्पादन में अग्रणी जिले हैं। मधुबनी और पूर्णिया की मखाना उत्पादन में हिस्सेदारी 20-20 प्रतिशत तक है। इस क्षेत्र के मखाना को केंद्र सरकार द्वारा (जीआई) टैग से सम्मानित किया गया है। पूर्णिया जिले में मखाना प्रसंस्करण उद्योग की अपार संभावनाएं हैं। बिहार के लगभग 20% मखाना की खेती पूर्णिया में होती है। पूर्णिया में लगभग 5600 हेक्टेयर भूमि पर मखाने की खेती होती है और इसका व्यापार लगभग 3500 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष होता है। मखाना की खेती, प्रसंस्करण और व्यापार में हजारों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। राज्य में मखाना उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य व केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। बिहार का कटिहार भी मखाना उद्योग के लिये जाना जाता है। यहां का मखाना विदेशों तक भेजा जाता है। जिसे ‘सफेद मोती ‘ के नाम से भी जाना जाता है। पिछले दशक में, मखाना उद्योग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिससे इसका उत्पादन तीन गुना बढ़ा है। बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में इसकी खेती किसानों के लिए चावल की तुलना में तीन गुना अधिक लाभदायक साबित हो रही है।

‘सबौर मखाना-1’ जैसी नई किस्मों के विकास से उत्पादकता में वृद्धि हुई है, जिससे किसानों की आय में भी सुधार हुआ है। हालांकि, इस क्षेत्र को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि कटाई की श्रम-सघन प्रक्रिया और निर्यात गुणवत्ता मानकों को पूरा करना। वर्तमान में, केवल 2% मखाना बीज वैश्विक मानकों को पूरा करते हैं। इसके बावजूद, सरकारी सब्सिडी और नई तकनीक ने जोखिमों को कम किया है, जिससे इस उद्योग के विस्तार को प्रोत्साहन मिला है।

मखाने के स्वास्थ्य संबंधी लाभ:

मखाने के पोषण संबंधी लाभ इसकी बढ़ती लोकप्रियता का मुख्य कारण हैं। यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, और फॉस्फोरस और कैल्शियम जैसे आवश्यक खनिजों से भरपूर होता है, जबकि इसमें वसा और कैलोरी की मात्रा कम होती है। ये गुण इसे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के लिए आकर्षक बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, हृदय स्वास्थ्य, मधुमेह प्रबंधन, और वजन नियंत्रण में इसके लाभों ने वैश्विक मांग में वृद्धि की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी कीमतें बढ़ रही हैं। मखाने में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमे जरुरी मिनरल्स होते है जो डायबटीज और दिल की गंभीर बिमारियों से बचाता है, साथ ही आपके वजन को भी नियंत्रित रखता है।

मखाने को बनाया प्रीमियम वैश्विक उत्पाद:

निखिल कामत ने मखाना के उद्यमशीलता के अवसरों पर भी प्रकाश डाला है। स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं, जैसे कि ‘मिस्टर मखाना’ प्रति माह 50-60 लाख रुपये का राजस्व उत्पन्न कर रहा है, ‘फार्मले’ ने 6.7 मिलियन डालर की फंडिंग हासिल की है, और ‘शक्ति सुधा मखाना’ 2025 तक अपने राजस्व को 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये करने की योजना बना रहा है। ये कंपनियां मखाने की छवि को एक साधारण स्नैक से एक प्रीमियम वैश्विक उत्पाद के रूप में स्थापित कर रही हैं।

मखाना उद्योग किसानों के लिये एक स्थायी आजीविका :

मखाना उद्योग का यह विकास न केवल एक सुपरफूड के रूप में, बल्कि एक परिवर्तनकारी आर्थिक शक्ति के रूप में भी इसके महत्व को दर्शाता है। बढ़ती वैश्विक मांग, निरंतर नवाचार, और उद्यमशील पहलों के साथ, मखाना एक प्रमुख भारतीय निर्यात बनने की ओर अग्रसर है, जो परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु का काम करते हुए अनगिनत किसानों के लिए स्थायी आजीविका प्रदान करेगा । यही वजह है कि निखिल कामथ भी अब बड़े स्तर पर मखाना की वैश्विक ब्रांडिंग के लिए तैयार हैं।

बबीता आर्या

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