Makar Sankranti Ganga Sagar : अपने उद्गम स्थल हिमालय पर्वत के गंगोत्री से लेकर पश्चिम बंगाल के दक्षिण २४ परगना जिला मे सुंदरवन के निकट बंगाल की खाड़ी तक की माॅं गंगा की यात्रा अद्भुत है। राजा भागीरथ के द्वारा निर्देशित मार्ग का अनुसरण करते हुये कितना कठिन रहा होगा उनके लिये महाराज सगर के साठ हजार पुत्रों का उद्धार करना। सूर्य देव के उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश के समय ही उनका कपिल मुनि के आश्रम में प्रवेश कर सगर पुत्रों के अस्थि पंजर को अपने साथ बहा कर सागर से संगम ले जाना। हमारी तीर्थ यात्रा का प्रयोजन प्रारंभ से ही धर्म से जोड़कर इसलिये रखा गया था कि अनेकता में एकता स्थापित करते हुये एक दूसरे की संस्कृतियों का आदान प्रदान करें ,उनसे परिचित हों । इसके साथ ही प्रकृति दत्त प्राकृतिक सौंदर्य का अवलोकन कर मानसिक आनंद प्राप्त करें। चित्त की प्रसन्नता ही हमें अध्यात्म से जोड़ती है। जहां आनंद ही आनंद है पर इसके लिये हमें प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य का अवलोकन करना आवश्यक है।
गंगासागर जहां गंगा की यात्रा का होता है समापन
गंगा का तट बंगाल की खाड़ी में सागर से उसका संगम एक अद्भुत दृश्य उपस्थित करता है। एक ओर मंद गति से आ रही गंगा तो दूसरी उत्ताल तरंगों पर आरोहित होकर गमन करता, मिलन को आतुर सागर और दोनों का यह मकर संक्रान्ति के दिन मिलन अपने आप में अद्भुत । प्रकृत और पुरुष के रूप को प्रदर्शित करता।
मकर संक्रांति पर गंगासागर में दान का विशेष महत्व
मकर संक्रान्ति पर गंगासागर में स्नान दान का विशेष महत्व है। यहां पर कपिल ऋषि का आश्रम और मंदिर भी है। कपिल मुनि का आश्रम और मंदिर में स्थापित कपिल मुनि के साथ मां गंगा और भागीरथ की मूर्तियों वाला यह मंदिर पहले एक वर्ष तक सागर में ही डूबा रहता था।जिसके दर्शन केवल मकर संक्रांति के ही दिन होते थे। पर अब ऐसा नही है,अब गंगा का तट उससे दूर हो गया है। यह तीरथ नही वरन् महातीरथ राज की संज्ञा प्राप्त गंगासागर ही मोक्ष का दाता है । इसमें गंगा का पुनीत पावन जल इसे और पुण्य मय बना देता है।
गंगासागर का विश्व प्रसिद्ध धार्मिक मेला वर्ष में केवल एक बार ही लगता है वह भी मकर संक्रान्ति पर । एक द्वीप होने के कारण समुद्र में आ रहे तूफ़ान के कारण कभी कभी विषम विकट परिस्थितियां भी उत्पन्न हो जाती हैं । सभी का तरण तारण करने वाली ,पापविमोचिनी, मोक्ष को देने वाली देवी गंगा का सागर में संगम होते ही वह भी गंगासागर हो जाता है।
ऊषा सक्सेना-