Monday, July 14, 2025
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एक कहानी ऐसी भी, न्याय की चौखट से खाली हाथ नहीं लौटा अतुल!

Atul IIT Dhanbad

by KhabarDesk
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Atul IIT Dhanbad

Atul IIT Dhanbad : सपनों के टूटने की आवाज नहीं होती, पर दर्द बेइंतहा होता है। कुछ दिन पहले तक अतुल भी अपने सपने को अपनी आंखों के सामने चकनाचूर होते देख रहा था। एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा, जिसने आईआईटी में इंजीनियरिंग करने का ख्वाब देखा था और अपनी मेहनत और लगन के बल पर उसने यह ख्वाब पूरा भी कर लिया था। लेकिन आखिरी वक्त पर फीस के 17,500 रूपए नही भर पाने से उसका सपना टूटकर बिखर सा गया!

लेकिन फिर एक चमत्कार की तरह देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अतुल को उसका सपना लौटा दिया है। यह कहानी है उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली के छोटे से गांव टिटोड़ा के अतुल की। आंखों में उम्मीद और आसमान में उड़ान भरने का सपना लिए अतुल ने मुफ़लिसी की परवाह किए बगैर आईआईटी जैसी देश के सबसे कठिन परीक्षा में कामयाबी हासिल करने की ठानी। मंजिल तक पहुंचने की जिद में उसने अपने परिवार की गरीबी को सफलता के रास्ते में आड़े नही आने दिया। अतुल अपनी मेहनत और लगन से IIT जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा क्वालीफाई तो कर लेता है, लेकिन गरीबी के कारण उसके परिवार के पास फीस भरने के लिए 17,500 रूपये नहीं होते हैं!

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली के टिटोड़ा गांव के रहने वाले अतुल कुमार का जन्म एक गरीब दलित परिवार में हुआ था, लेकिन पढ़ाई में होनहार अतुल ने आईआईटी की तैयारी की और परीक्षा पास भी कर ली। आईआईटी धनबाद में दाखिले के लिए अतुल को 17,500 रूपये फीस भरनी थी, पर उसके गरीब परिवार के पास इतनी रकम नहीं थी और जब तक किसी तरह उन्होंने इस रकम का इंतजाम किया तब तक आखिरी दिन पर फीस भरने के लिए वेबसाइट ही बंद हो गई। अतुल पर मानो आसमान टूट पड़ा! पर फिर भी उसने हिम्मत जुटा कर अपने सपने को पूरा करने के लिए कानून का दरवाजा खटखटाया।

अतुल को आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की सीट अलॉट हुई थी। फीस भरने की आखिरी तारीख 24 जून थी। पैसे की तंगी झेल रहा अतुल का परिवार किसी तरह 24 जून की शाम तक पैसे जुटा पाया। शाम 4:45 पर अतुल ने फॉर्म भरने की कोशिश की, लेकिन वेबसाइट बंद हो गई, जबकि फॉर्म भरने की डेडलाइन 5:00 बजे की थी। फीस नहीं भर पाने की वजह से अतुल की सीट कैंसिल हो गई। इससे अतुल और उसके पिता राजेन्द्र अपने बेटे के सपने टूटता देख निराशा से घिर गये। लेकिन उसने हिम्मत नही हारी। एक मजबूर बाप अपने होनहार बेटे के सपने को बिखरते नही देख सकता। फिर शुरू हुई जीत के लिए जंग- अदालतों और कमीशन के दरवाजे खटखटाये गए। अतुल ने झारखंड हाईकोर्ट में अपना केस रखा। इसके बाद वह मद्रास हाई कोर्ट भी गया, जहां 24 सितंबर को सुनवाई हुई। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया ।

सुप्रीम कोर्ट ने खोला अतुल के लिए आईआईटी का दरवाजा।

आखिर वह घड़ी आ गई जब लगन, हिम्मत, धैर्य और न्याय के सामने गरीबी के कारण आई रूकावट और तर्क को झुकना पड़ा। 30 सितंबर की सुबह की बेला अतुल और उसके पिता की दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी, लेकिन उन्हें न्याय पर भरोसा और विश्वास भी हो रहा था कि प्रतिभा को गरीबी के कुचक्र में यूं ही नही कुचल दिया जाएगा। आख़िरकार, 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अतुल के हक में फैसला सुनाया और कहा कि उसे आईआईटी धनबाद में एडमिशन मिलेगा। इस मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जी पारदी वाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने आईआईटी धनबाद को निर्देश दिया कि अतुल को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में दाखिला दिया जाए।

अपने फैसले में न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम ऐसे युवा प्रतिभाशाली लड़के को जाने नहीं दे सकते। हालांकि, अतुल की याचिका का IIT सीट एलोकेशन अथॉरिटी के वकील ने विरोध किया था और कहा कि लॉगिन डिटेल से पता चलता है कि दोपहर 3:00 बजे लॉगिन किया गया जो आखिरी मिनट का लॉगिन नहीं था। CJI ने अपने फैसले में कहा कि “केवल एक चीज जिसने उसे रोका वह भुगतान करने में असमर्थता थी और सुप्रीम कोर्ट के रूप में हमें यह देखना होगा, न्यायालय को उसकी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखना होगा”।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि हमारा यह मानना है कि याचिका कर्ता जैसे प्रतिभाशाली युवा को असहाय नहीं छोड़ा जा सकता। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय को पूर्ण न्याय करने का अधिकार ऐसी स्थिति से निपटने में है। जस्टिस पारदीवाला ने अथॉरिटी के वकील से कहा “आप इतना विरोध क्यों कर रहे हैं, आपको देखना चाहिए क्या कुछ किया जा सकता है”। फैसले के बाद अतुल और उसका परिवार बेहद खुश है। अतुल को अब आईआईटी धनबाद में दाखिला मिल जाएगा। आपको बता दें कि अतुल के पिता एक दिहाड़ी मजदूर है, जिनकी एक दिन की दिहाड़ी मात्र 450 रुपए है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में एडमिशन के साथ हॉस्टल सहित सभी सुविधाएं देने का आदेश दिया। ऐसे में अतुल का आईआईटी में सफल होना और अपनी सीट को पाने की न्यायिक लड़ाई लड़ना, लगन, प्रतिभा और संघर्ष की अंत में जीत की कहानी है। अतुल का यह संघर्ष, अन्य लगनशील प्रतिभावान छात्रों के लिए एक मिसाल है ।

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