Tips for screen time management: करोना काल के समय से ऑनलाइन क्लासेस के कारण बच्चों की आंखों पर लगातार हानिकारक प्रभाव हो रहा है। कॉविड-19 ने हमारी जिंदगी यहां तक के खाने पीने और सोने जैसे तमाम दिनचर्या को प्रभावित कर दिया था । इसके साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई में होने वाले बदलाव भी इसमें शामिल थे। बच्चों और युवाओं ने अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए ऑनलाइन क्लासेस का सहारा लिया था। उसके बाद से बढ़ते हुए स्मार्ट क्लास ने बच्चों के स्वास्थ्य में नई समस्याएं खड़ी कर दी है। लगातार बढ़ता स्क्रीन टाइम आपके बच्चों की नज़र पर असर डाल रहा है । जिसकी वजह से बच्चों की आंखे खराब होने के कई मामलें सामने आ रहें हैं ।
स्मार्ट क्लास की शुरुआत 2004 मे हुई थी:
स्मार्ट क्लास की शुरुआत साल 2004 में हुई थी । जिसका अर्थ एक आधुनिक कक्षा में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है । इसमें व्हाइट बोर्ड और डिजिटल सामग्री का उपयोग किया जाता है। जो शिक्षक और छात्रों दोनों के सीखने और सिखाने की प्रक्रिया को बेहतर बनाते हैं। सरल शब्दों में बताएं तो स्मार्ट क्लास एक डिजिटल क्लासरूम है, जो स्कूल की कक्षा का एक विकसित रूप है । जिसमें पढ़ाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें छात्रों को समझाने के लिए वीडियो और ऑडियो जैसे डिजिटल सामग्री का उपयोग किया जाता है । इसमें सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए प्रोजेक्टर और कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है । यह कक्षाएं जहां बच्चों को सीखने की ओर बढ़ावा देती है वहीं दूसरी तरफ यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी खड़ी कर रही है। जिसमें मुख्य रूप से स्क्रीन टाइम बढ़ जाने के कारण मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक गतिविधि में कमी आ रही है। लगातार स्क्रीन देखने की वजह से आंखों पर भी जोर पड़ रहा है । इसके साथ ही बच्चो की नींद भी प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही शारीरिक गतिविधि कम होने के कारण बच्चों में मोटापा और अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं सामने आ रही है।
डिजिटल क्लास में आगे की सीट पर बैठने वाले बच्चे ज्यादा प्रभावित:
डिजिटल क्लासेस की वजह से बढ़ता स्क्रीन टाइम बच्चों की आंखों पर प्रभाव डाल रहा हैं । जिसकी वजह से बच्चों की आंखें कमजोर होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं । ऐसे में यह समस्या उन बच्चों के साथ ज्यादा देखने को मिलेंगी, जो स्मार्ट क्लास में स्क्रीन का उपयोग काफी पास से करते हैं। विशेषज्ञों की माने तो अभिभावकों को अपने बच्चों का स्क्रीन टाइम घटाने की सलाह दी जाती है । लंबे समय तक स्क्रीन का या डिजिटल स्क्रीन का उपयोग करना बच्चों की आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है । इससे आंखों में थकान, सूखापन, धुंधली दृष्टि जैसी कई समस्याएं हो सकती है। जहां पहले 100 में से दो या तीन बच्चों को चश्मा लग रहा था। आज के बढ़ते डिजिटल युग में यह संख्या 8 से 10 पहुंच चुकी है।
पलकों ना झपकाना और कम रोशनी भी हैं खतरनाक:
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में आंखों से संबंधित बढ़ते विकार का एक बड़ा कारण लंबे समय तक स्क्रीन पर लगातार नजरे का रखना है । इसका कारण पलकों को ना झपकाना और कमरे में कम रोशनी का होना है। इसके साथ ही चमकदार स्क्रीन का अधिक इस्तेमाल भी आंखों में समस्याएं दे रहा है। इसका असर उन बच्चों पर ज्यादा प्रभाव डालता है। जो बच्चे पहले से खराब नजर से प्रभावित है। ऐसे बच्चों को ज्यादा नुकसान हो रहा है। अन्य लोगों कहना है कि स्मार्ट क्लास के अलावा बच्चों की रोशनी खराब होने के कई कारण हो सकते हैं । जैसे कि अधिक स्क्रीन टाइम, असंतुलित आहार और पर्याप्त नींद का ना लेना।
सरकार कर रही है लाखों रुपये का खर्चा:
शैक्षिक सत्र साल 2024 से 25 में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय सहित 29 राज्यों के सरकारी विद्यालयों में 3655 स्मार्ट क्लासेस स्थापित की जाएगी। जिसके लिए केंद्र सरकार ने 28,841 लाख रुपए की राशि आवंटित की है।
स्मार्ट क्लास की शुरुआत 2004 में हुई थी:
1) आप अपने बच्चों की आंखों को स्वस्थ रखनेषके लिए कई तरह के उपाय कर सकते हैं।
2) अपने बच्चों की आंखों की नियमित रूप से जांच करवायें ।
3) उन्हे संतुलित भोजन दें जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज व प्रोटीन अवश्य हो।
4) उसके साथ ही बच्चों को 20 से 30 मिनट के अंतराल पर कम से कम 20 फुट की दूर की चीज देखने को बोले स्क्रीन टाइम के बीच में ब्रेक जरूर ले।
5) बच्चों को कम से कम 9 से 10 घंटे की पर्याप्त नींद दे आंखों को रगड़ने के बजाय पानी से अच्छे से साफ करें।