Falgun Amavasya : महाशिवरात्रि के साथ ही महाकुंभ का अंतिम स्नान भी समाप्त हो गया है। महाशिवरात्रि के दूसरे ही दिन खास अमावस्या है। फाल्गुन मास की ये अमावस्या बेहद ही खास होती है। इस दिन को पितरों की अमावस्या माना जाता है। यह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का भी अंतिम दिन है। पितरों के लिए इस अमावस्या पर अंतिम तर्पण किया जाता है।
फाल्गुन अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण
साल के 12 महीनो में 12 अमावस्या में दो अमावस्या, कुवांर मास की पितृपक्ष की अमावस्या और फाल्गुन मास की अमावस्या पितरों के लिए खास मानी जाती है। इस अमावस्या पर सूर्य के साथ चंद्र देव का भी मिलन होता है। चंद्रमा सूर्य के पास पहुंचकर उसके प्रकाश के आगे मंद पड़ कर छिप जाता है। इसीलिए सूर्य ग्रहण अमावस्या को एवं चंद्र ग्रहण पूर्णमासी को ही होता है। इस दिन सूर्य देव के साथ श्री हरि और पितर भी गंगा में स्नान करने आते हैं। आज का दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
फाल्गुन की अमावस्या पर तर्पण से मिलती है पितृ दोष से मुक्ति
फाल्गुन अमावस्या पर स्नान के पश्चात नदी में कमर तक खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ देते हुए पितरों के लिए तर्पण किया जाता है। फाल्गुन अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण और दान करने से शांति मिलती है। इससे पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, साथ ही पितृ दोष दूर होता है।
फाल्गुन अमावस्या पर बन रहा है ग्रहों का विशेष संयोग
इस बार 27 फरवरी 2025 को यह अमावस्या खगोलीय घटना, ग्रह नक्षत्र के लिहाज से भी खास है, क्योंकि इस अमावस्या पर ग्रह नक्षत्र के विशेष संयोग निर्मित हो रहे हैं। इन योगों के कारण यह अमावस्या और भी विशेष हो गई है। इस समय सूर्य देव कुंभ राशि में अपने पुत्र शनि के साथ हैं। गुरु वृष राशि के अंतिम नक्षत्र में, मंगल बुध की राशि मिथुन में और शुक्र देव अपनी उच्च राशि मीन में राहु के साथ योग बन रहा है। केतु बुध की राशि कन्या में है। यह संयोग बेहद ही अद्भुत संयोग है।
उषा सक्सेना
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारी सामान्य संदर्भ के लिए है और इसका उद्देश्य किसी धार्मिक या सांस्कृतिक मान्यता को ठेस पहुँचाना नहीं है। पाठक कृपया अपनी विवेकपूर्ण समझ और परामर्श से कार्य करें