Monday, October 6, 2025
Home धर्म कर्म पितृ-पक्ष : श्रृतसत्यं दधाति यथा क्रियया सा श्रद्धा ,श्रद्धया यत्क्रियते तत्श्राद्धम

पितृ-पक्ष : श्रृतसत्यं दधाति यथा क्रियया सा श्रद्धा ,श्रद्धया यत्क्रियते तत्श्राद्धम

by KhabarDesk
0 comment
Pitru Paksha 2025

Pitru Paksha 2025 :  श्राद्ध पक्ष को श्रद्धा पर्व के रूप में मनाया जाता है। जिसमें हम अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुये उनका आवाहन करते हैं। वर्ष में एक बार उस तिथि के अनुसार जिस दिन उन्होंने इस संसार से प्रयाण किया था।  आईये हम सभी स्वागत करें अपनी सनातन वैदिक संस्कृति के माध्यम से अपने पूर्वजों का । हमारे पूर्व के भी पूर्वज सभी पितृलोक से इस पृथ्वी पर अपने स्वजन, परिजन, सुहृदजन सभी से मिलने के लिये वर्ष में एक बार अवश्य ही अपने इसी निर्धारित समय पर आते हैं।  बारह आदित्यों में हर मास सूर्य देव के नाम पर समर्पित हैं। भाद्रमास अनन्त चतुर्दशी एवं गणेश जी के विसर्जन के बाद की पूर्णमासी से लेकर कुंवार मास की अमावस्या कृष्ण पक्ष के पूरे पन्द्रह दिन एवं एक दिन भाद्र मास की पूर्णमासी का मिलाकर पूरे सोलह दिन का होता है श्राद्धपर्व।

 सोलह श्राद्ध 

हर दिन पितरों के नाम पर उनको समर्पित तिथि उस दिन उनके ही नाम पर श्राद्ध किया जाता है । जिनका स्वर्गवास पूर्णिमा के दिन हुआ उनके लिये आज ही उनके श्राद्ध का दिन होगा । तर्पण के लिये सुबह से ही किसी नदी तालाब में जाकर नहाते हुये उन्हें सूर्यदेव के समक्ष अर्द्धय देते हुये अंजुली में जल भर कर समर्पित करते हैं । इस जल को सूर्यदेव अपनी ऊष्म रश्मियों के द्वारा अवशोषित कर उनके पितरों तक पहुंचा कर उन्हें तृप्त करते हुये उनकी प्यास को बुझाते हैं ।

जल में काले तिल डाल कर तर्पण किया जाता है बाद में उनकी क्षुधा को शांत करने के लिये उनके लिये पिण्ड दान करते हुये हवन के द्वारा अग्निदेव के माध्यम से श्रद्धा भाव से जो भोज्य पदार्थ अर्पित किये जाते हैं वही हमारा उनके प्रति श्रद्धाभाव है । श्रद्धा से समर्पित भोजन भी सूक्ष्म  रूप में वायु देव द्वारा प्राण वायु के रूप में उन तक पहुचता हैं । पितरों के स्वागत के लिये प्रात:होते ही गृह स्वामिनी द्वार पर रांगोली डाल कर स्वागत फूल बिछा कर उनका स्वागत करती है । जिसे देख कर पितर प्रसन्न हो उसे आशीर्वाद प्रदान करते हुये सूक्ष्म वायु रूप में ही घर में प्रवेश करते हैं । इस प्रकार से यह वह पितृयज्ञ है जो हम अपने पूर्वजों के सम्मान में करते हैं । श्रृद्धा का अर्थ है श्रृत
अर्थात सत्य “श्रृतसत्यं दधाति यथा क्रिया सा श्रद्धा ,श्रद्धया यत्क्रियते तत्श्राद्धम “।
अर्थ:-जिस क्रिया से सत्य का ग्रहण किया जाये उसका नाम श्राद्व है । बिना श्रद्धा के श्राद्ध का कोई अर्थ नही । इसी प्रकार से तर्पण के लिये कहा गया है कि:-
*तृपयन्ति तर्पयन्ति येन पितृं तत्तर्पणम्*
अर्थात जिस कर्म से पितर तृप्त हों वही तर्पण है। यदि हम वैज्ञानिक दृष्टि से इस तथ्य को समझने का प्रयास करें तो सावन और भाद्रमास मे अत्यधिक वर्षा होने से चंद्रलोक के ऊपर पितृ लोक की कल्पना अंतरिक्ष में की गई है। वहां का सारा संग्रहित जल कोष मेघों के द्वारा बरस कर समाप्त हो जाता है ।उसे पुन: संग्रहित करने के लिये आकाश के मेघों से शून्य हो जाने से सूर्यदेव की आभा प्रकाशमान हो जाती है और वह अपनी इस समय की ऊष्म रश्मियों से जल का पृथ्वी के पार्थिव रूप से अवगाहन कर उनको मेघों के रूप में वाष्पित करते हुये अंतरिक्ष में ही संग्रहित करता है । यह मेघों के सृजन का गर्भाधान काल है । इसी प्रकार से धरा को पुन:नवसृजन के लिये तैयार करते हैं।

हमारी सनातन हिन्दू वैदिक संस्कृति में कुंवार मास का महत्व कृषि की द‌ष्टि से भी अत्यंत ही महत्वपूर्ण है । खेतों में छाई हरियाली, उमंग और उल्लास की तरंगें प्रवाहमान हो उठती हैं‌। मानव के द्वारा अपने पूर्वजों की स्मृति में किये जा रहे यह पर्व किसी उत्सव से कम नहीं होते । यह हमें जीवन में अपने कर्तव्यों का स्मरण दिलाते हुये दायित्व बोध कराते हैं । यह संस्कार ही तो सनातन काल से हमें हमारी संस्कृति से जोड़ते हैं ।

आज की पीढ़ी समाजवादी सद्भावना का परित्याग कर जब अपने जीवित माता पिता का ही पोषण नही कर सकती तो वह पूर्वजों के प्रति दायित्व कहां से निभायेगी । छूट गई है हमसे हमारे ही संस्कारों की डोर इसीलिये आज समाज में अमानवीय और अप्राकृतिक कृत्य क्रूर हिंसा का भाव पनप रहा है । एक बार फिर हअपनीनी परंपराओंं और रीतिरिवाज पर्व एवं त्यौहार के महत्व को समझने के लिये पुन:अपनी सनातन संस्कृति का अवगाहन कर विश्व कल्याण की कामना करें ।

ऊषा सक्सेना

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारी सामान्य संदर्भ के लिए है और इसका उद्देश्य किसी धार्मिक या सांस्कृतिक मान्यता को ठेस पहुँचाना नहीं है। पाठक कृपया अपनी विवेकपूर्ण समझ और परामर्श से कार्य करें।

You may also like

Leave a Comment

About Us

We’re a media company. We promise to tell you what’s new in the parts of modern life that matter. Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo. Sed consequat, leo eget bibendum sodales, augue velit.

@2022 – All Right Reserved. Designed and Developed byu00a0PenciDesign