Delhi SARAS Mela 2025 : खाने पीने के शौकीन लोगों के लिये एक स्वादिष्ट और बेहतरीन व्यंजन की तलाश करना कोई बड़ा काम नहीं है । वह अपने लिये कही ना कहीं से कुछ नया खाने के लिये खोज ही लातें हैं । अगर आप भी कुछ नया और मीठा खाने के शौक़ीन हैं तो यह खबर आपके लिये है। दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित सरस मेले में देश के अलग-अलग राज्यों से आये कारीगर अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं । जिसमें पारंपरिक खानपान भी अपने स्वाद का जादू बिखेर रहा है । वही दक्षिण भारत के आँध्र प्रदेश का मीठा जिसे मडुगुला के नाम से जाना जाता है , जो काफी मशहूर हो रहा है । आइये जानते हैं क्या है यह मडुगुला।
आँध्र प्रदेश की पारंपरिक मिठाई मडुगुला:
दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित सरस आजीविका मेले में आप विभिन्न प्रकार के पारंपरिक खान पान, लोकगीत और परिधान का आनंद ले सकते हैं। यदि आप खानपान के शौकीन है तो आपको इस मेले में चखने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यंजन मिल सकते हैं। इसमें शामिल है दक्षिण भारत का विशेष प्रकार का हलवा जिसे मडुगुला गुड़ हलवा कहा जाता है। यह आपके जुबान के स्वाद को काफी भाएगा । यह आंध्र प्रदेश के मशहूर गांव मडुगुला का एक पारंपरिक व्यंजन है। यह गाय के दूध, देसी घी ,गुड़ और सूखे मेवे से बना होता है। यह हलवा ही नहीं बल्कि एक प्रकार का पारंपरिक स्वाद है। जो शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढाता है,और साथी शरीरिक शक्ति भी बढ़ता है। इस हलवे को बनाने में लगभग 5 दिनों की मेहनत लगती है। 5 दिनों की मेहनत से बना यह हलवा बहुत ही बेहतरीन और स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होता है । दिल्ली में लगे आजीविका सरस मेले में इस हलवे ने सबका ध्यान अपनी ओर काफी आकर्षित किया। आइये जानते हैं कि इस हलवे की कहानी क्या है?
1890 में हुई थी इस हलवे की शुरूआत:
भारत के राज्य आंध्र प्रदेश का एक छोटा सा गांव मडुगुला आज पूरे देश में काफी मशहूर हो रहा है । यह अपने पारंपरिक स्वाद मडुगुला हलवे के लिए जाना जाता है। इस स्वादिष्ट व्यंजन की पहचान यहां के गांव के नाम से मशहूर है । यह एक पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाने वाला व्यंजन है। जिसमें किसी भी प्रकार की मशीनी चीजों का इस्तेमाल नहीं होता है । इसमें ना ही किसी प्रकार के रासायनिक खाद्य पदार्थों का ही इस्तेमाल होता है। यह हलवा अपने पारंपरिक देसी अंदाज में ही बनाया जाता है । इसे बनाने वाले पिछले 20 सालों से ज्यादा प्रसिद्ध इस हलवे की रेसिपी हैदराबाद के पुस्तक मेले और नामपल्ली प्रदर्शनी में हर साल पेश करते आ रहे हैं। इस हलवे की कहानी 1890 में एक गांव से शुरू हुई थी। जब एक स्थानीय रसोईए डांगोटी धर्म राव ने इसकी रेसिपी बनाई थी। उस रसोईए ने बनाते समय यह सोचा था कि वह जो भी बनाए वह हफ्तों तक ताजा बना रहे । जिसे उन्होंने हासिल भी किया।
हलवा बनाने की एक कठिन प्रक्रिया:
मडुगुला हलवा बनाना एक पारंपरिक और कठिन प्रक्रिया है। इसमें कई प्रकार की बेहतरीन सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। जैसे कि गेहूं का आटा,दूध, चीनी की चाशनी या गुड ,अरकू वन शहद और सूखे मेवे। इस पारंपरिक हलवे को लकड़ी की धीमी आंच पर पकाया जाता है । जिससे इस हलवे को एक विशिष्ट प्रकार की बनावट और स्वाद मिलता है। इसे और ज्यादा अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें भरपूर मात्रा में घी का भी उपयोग किया जाता है। इस हलवे को तैयार करने में लगभग 5 दिन लगते हैं। जिसे अमूमन एक महीने तक ताजा रखा जा सकता है। इस हलवे को बनाने के लिए पहले तीन दिन तक गुड को लगातार उबाला जाता है । फिर उसे दूध के साथ मिलाया जाता है यही मिश्रण धीरे-धीरे पकाया जाता है । जो बाद में खुशबूदार हलवे का रूप ले लेता है।
मडुगुला हलवे के दाम:
आपकी जानकारी के लिए बता दे की मडुगुला हलवा अलग-अलग तीन स्वाद में मिलता है । जिसमें शक्कर वाला,गुड वाला और शहद वाला शामिल है।इनमें सबसे ज्यादा बिकने वाला हलवा गुड़ का हलवा होता है। जिसकी कीमत लगभग 1500 रुपए प्रति 250ग्राम है। वहीं शहद वाले हलवे की बात की जाए तो 300 में और दूसरा वेरिएंट 1200 में मिलता है।
पारंपरिक तौर पर यह शादी के 1 दिन पहले खाया जाता है:
इस पारंपरिक हलवे की खासियत यह है कि आपको उसे ताजा रखने के लिए फ्रिज में रखने की जरूरत नहीं है । अगर आप इसे बाहर के सामान्य तापमान पर भी रखते हैं। तो यह लगभग 40 दिन तक खराब नहीं होता है । गेहूं से बना यह हलवा जितना स्वादिष्ट होता है। उतना ही यह सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है। यह पारंपरिक मिठाई शादी वाले घर में ज्यादा फेमस होती है। ऐसा माना जाता है की शादी के पहले दिन इसे खाने की परंपरा ने इसे और भी ज्यादा मशहूर बना दिया है। यह अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणो और फायदे के लिए जानी जाती है। इस मिठाई ने अपने गांव का नाम दुनिया भर में मशहूर कर दिया है । यह मिठाई बच्चों और बूढ़ो दोनों को खास तौर पर पसंद आती है।
बबीता आर्या