Plastic Idli : दक्षिण भारत का पारंपरिक और पसंदीदा व्यंजन इडली बेहद हल्का और हेल्दी व्यंजन माना जाता है। यह नाश्ता दक्षिण भारत में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में ही बड़े चाव के साथ खाया जाता है। यह बिना तेल और मसाले से बना नाश्ता भोजन के लिए एक बेहतर विकल्प माना जाता है। भारत में बच्चे, बूढ़े, युवा वर्ग सभी इसको खाना पसंद करते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भी मिलता है। हालांकि कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि यदि आप इडली को विक्रेताओं से खरीद रहे हैं तो यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है।
इडली है दक्षिण भारत का पारंपरिक व्यंजन :
यदि आप दक्षिण भारत में रहते हैं और इडली सांभर खान के शौकीन है तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की माने तो इडली के कुछ सैंपल जांच में फेल हुए हैं। जिसमें कैंसर कारक तत्व पाए जाने की पुष्टि की गई है। भारत के हर एक राज्य में गली नुक्कड़ की दुकानों पर आपको डोसा, इडली सांभर की दुकान जरूर दिखाई देंगीं। जहां आपको हर आयु वर्ग के लोग दक्षिण भारतीय व्यंजन का मजा लेते हुए दिखाई देंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इडली बनाने का तरीका यदि पारंपरिक ना हो तो यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। जी हां कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में फूड सेफ्टी विभाग ने इडली के सैंपल जांच में कुछ ऐसे तत्व पाए हैं जो आपको हानि पहुंचा सकते हैं। इस जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कई स्ट्रीट वेंडर्स,होटल और रेस्टोरेंट से 52 जगह से अलग-अलग 500 सैंपल लिए थे। इस दौरान कई इडली के नमूने जांच के लिए भेजे गए। जिसमें 35 से ज्यादा नमूने फेल पाए गए। इसके बाद इन सभी होटलों पर कार्रवाई की गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य भर में 52 होटलों में इडली बनाने के लिए पॉलीथीन शीट का इस्तेमाल किया गया है। जिसकी वजह से लोगों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग अभी भी अन्य नमूनो के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहा है।
हानिकारक तत्व मिलने के कारण :
इडली में कैंसर जैसे हानिकारक तत्व मिलने के कारण अधिकारियों ने उन होटलों और रेस्टोरेंट का फिर से दौरा किया। तो उन्होंने पाया जहां पर इडली बनाई जाती है और जिस प्रक्रिया से तैयार की जाती है उन जगहों पर पारंपरिक सूती कपड़े की जगह प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल किया जा रहा है। पहले इडली बनाने में इडली के घोल को साफ सूती कपड़े पर रखा जाता है इसके पश्चात उसे इडली पकाने वाली ट्रे पर रखा जाता है। जहां पर इडली भाप से पकाई जाती है। आजकल के आधुनिकता के दौर में सूती कपड़े की जगह प्लास्टिक शीट ने ले ली है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्लास्टिक शीट गर्मी के कारण रसायन छोड़ते हैं। जिसमें हानिकारक तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही पहले यह इडली ठोंगा यानी कि कागज के लिफाफे में पैक करके दी जाती थी। लेकिन अब इस इडली को गर्म ही प्लास्टिक की थैली में दे दिया जाता है। जिसकी वजह से प्लास्टिक की थैली गरम भोजन के साथ जहरीला केमिकल छोड़ देती है। प्लास्टिक की शीट में कुछ खतरनाक केमिकल कार्सिनोजेनिक पाए जाते हैं। जिसकी वजह से कई गंभीर बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।
इडली को सफेद और आकर्षक दिखाने के लिए केमिकल का प्रयोग:
इसके अलावा जब दुकानदार इडली बनाने के लिए चावल और उड़द की दाल का इस्तेमाल करते हैं, उनकी भी क्वालिटी अच्छी नहीं होती है। इडली को ज्यादा सफेद और आकर्षक दिखानेे लिए दुकानदार इडली के घोल में ब्लीचिंग पाउडर और सिंथेटिक रंगों, केमिकलों का इस्तेमाल करते हैं। जिसकी वजह से भी हमारे शरीर में हानिकारक तत्व पहुंचते हैं, और हमें गंभीर रोग दे सकते हैं। इससे पहले 2024 में कर्नाटक सरकार ने रॉडामिन-बी नामक खतरनाक खाद्य रंग पर प्रतिबंध लगाया था। जिसका प्रयोग गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी जैसे खाद्य पदार्थों के लिए किया जाता था। इसका प्रयोग करने पर सात साल की सजा और 10 लाख का जुर्माना हो सकता है ।
कर्नाटक सरकार की सख्त कार्यवाही:
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा है कि दोषी होटल पर पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही सरकार खाद्य उद्योग में विशेष रूप से भोजन तैयार करने में प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्णत प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। उन्होंने जनता से भी यही अपील की है कि वह अपने घरों सेसेऔर होटल से प्लास्टिक को पूरी तरह से बाहर कर दें। यदि किसी होटल या रेस्टोरेंट में प्लास्टिक का उपयोग करते कोई दिखाई भी दे तो तुरंत अधिकारी को इसकी सूचना दें।
बबीता आर्या