Sam Altman Open AI : AI की दुनिया में DeepSeek के आने से जिस तरह टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका का वर्चस्व टूटा है, उसके बाद AI टेक्नोलॉजी को लेकर विश्व बाजार में एक तरह की आर्थिक प्रतिद्वंदिता भी शुरू हो गई है। DeepSeek ने एक साथ टेक्नोलॉजी की दुनिया को कई संदेश दिए हैं। AI की दुनिया में DeepSeek की एंट्री ने अमेरिकी वर्चस्व को तोड़कर ओपन ए आई (Open AI) और Google के Gemini जैसे संस्करणों के मालिकों को भी अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है। साथ ही भारत समेत एशियाई देशों में भी एक संभावना और ललक को जन्म दिया है, कि वह भी इस क्षेत्र में अपना खुद का बेहतर वर्जन लाने के लिए आगे आएं। खैर, चीन के DeepSeek से निपटने के लिए अमेरिकी AI कंपनियों ने कमर कस ली है। अब उनके सुर बदल गए हैं। पहले, इस क्षेत्र में बादशाहत का दावा करने वाली कंपनियां अब अपनी श्रेष्ठता को साबित करने और बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। कई देशों ने DeepSeek पर पाबंदी लगाई है, तो कई देश इससे बेहतर कुछ करने को प्रेरित भी हुए हैं। अपने वर्चस्व के ढहते किले को बचाने के लिए Open AI के सीईओ Sam Altman पूरी दुनिया के दौरे पर हैं। और इसी कड़ी में वे 5 फरवरी को भारत पहुंचे। यहां पहुंचते ही उन्होंने एक बड़ा बयान भी दे डाला।
भारत Open AI का दूसरा सबसे बड़ा बाजार : Sam Altman
Open AI के सीईओ ने अपने हालिया भारत दौरे में कहा कि भारत दुनिया में ओपन AI दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। Sam Altman, Chat GPT जैसे AI टूल्स बनाने वाली कंपनी Open AI के सीईओ हैं। भारत में Chat GPT का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। भारत में Chat GPT के यूजर बेस में पिछले वर्ष तीन गुना इजाफा हुआ है। Altman इस वक्त दुनिया के तूफानी दौरे पर हैं। भारत पहुंचकर उन्होंने आईटी मंत्री, अश्विनी वैष्णव से खास मुलाकात की। इसके बाद देश के कई महत्वपूर्ण स्टार्टअप्स और वेंचर कैपिटल फंड्स के अधिकारियों से भी वे मिले। जल्द ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर सकते हैं।
भारत है AI का बड़ा बाजार
भारत AI का एक बड़ा बाजार है, यही वजह है कि ओपन ए आई के सीईओ Sam Altman अपने इस ग्लोबल टूर में भारत को इतनी तरजीह दे रहे हैं। उन्होंने बताया, “भारत AI और खासकर Open AI के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। पूरी दुनिया में अमेरिका के Open AI के कई प्रोडक्ट्स और सर्विसेस वर्जन के इस्तेमाल में भारत दूसरे नंबर पर है। पिछले 1 वर्ष में भारत में Open AI के प्रोडक्ट्स और सर्विसेस का इस्तेमाल करने वाले तीन गुना बढ़ गए हैं। और, जिस तरह भारत Stack डाटा स्ट्रक्चर, चिप्स, मॉडल और तकनीक के क्षेत्र में नए एप्लीकेशन बना रहा है, वह शानदार है। भारत को AI क्रांति में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए”। उन्होंने कहा, “हम ऐसी दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं, जहां सतत आसवन (distillation ) प्रक्रिया से यानी कमियों को दूर कर AI के क्षेत्र में काफी विकास हो चुका है। हमने छोटे मॉडल विकसित करना भी सीखा है, जिसमें विशेष तौर पर रीजनिंग मॉडल शामिल हैं। इन्हें बनाना और ट्रेन करना अब भी महंगा है। लेकिन यही मॉडल एक दिन दुनिया में क्रिएटिविटी की बरसात कर देंगे और इस बदलाव में भारत अपनी विशेष भूमिका निभाएगा ।”
DeepSeek ने बदला AI का परिदृश्य
जाहिर है कि DeepSeek के मैदान में आ जाने से AI का सिनेरियो ही बदल गया है। ये एक बहुत बड़ा कारण है कि Sam Altman जैसे AI ग्लोबल लीडर, एशिया के देशों को भी तवज्जो दे रहे हैं। अब उनके सुर भी बदल गए हैं। चीनी AI DeepSeek ने बेहद ही कम कीमत पर अपना फाऊंडेशनल मॉडल तैयार किया है। जो ओपन ए आई के मॉडल को कीमत के लिहाज से कड़ी स्पर्धा दे रहा है। ओपन ए आई के मालिकों के लिए यह भी एक चिन्ता का विषय हो सकता है। DeepSeek ने AI का V3 और R1मॉडल बनाकर दुनिया को दिखा दिया है कि AI के फाऊंडेशनल मॉडल काफी कम लागत में भी तैयार किये जा सकते हैं। जबकि ओपन ए आई ने अपना मॉडल Chat GPT बनाने के लिए बेहिसाब पैसा खर्च किया है।
आज Altman, भारतीय तकनीकी क्षेत्र की संभावनाओं का बखान कर रहे हैं। उन्हें भारत में भी AI के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर नजर आ रहा है। लेकिन पिछली बार जब वे भारत आए थे तो उनके सुर कुछ और ही थे। उन्होंने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया था कि “भारत समेत दुनिया भर की कंपनियों के लिए Chat GPT जैसे प्रोडक्ट बना पाना बहुत मुश्किल है।” उनके इस बयान के पीछे ए आई की दुनिया में अमेरिकी वर्चस्व का गुमान बोल रहा था। एक इवेंट के दौरान उन्होंने जो कहा था, उस पर गौर करने की जरूरत है। “जो भी हमारे प्रतिद्वंदी हैं, उनके लिए इस तरह के कोर मॉडल की ट्रेनिंग कर पाना नामुमकिन काम है और हम आपसे कहेंगे कि आपको यह करने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए। आप चाहें तो अपनी जिम्मेदारी पर यह कोशिश कर सकते हैं, लेकिन फिर भी हमारा यही मानना है कि आपका यह प्रयास नाकाम ही रहने वाला है।” हांलाकि, Altman ने बाद में यह कह कर सफाई दी थी कि उनके वक्तव्य को आउट आफ कॉन्टैक्ट्स पेश किया गया है। फिर भी, उनके इस बयान में अमेरिकी तकनीक की सर्वश्रेष्ठता के अहंकार की बू आती है। लेकिन चीनी AI DeepSeek के मार्केट में आते ही अब उन्हें AI के विश्व बाजार में अपना एकाधिकार छिनने का खतरा सता रहा है।
DeepSeek इस्तेमाल न करने के निर्देश
बता दें कि भारत में वित्त मंत्रालय ने कर्मचारियों को ऑफिशियल आईडी और डिवाइस से DeepSeek और अन्य AI टूल्स का इस्तेमाल न करने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय का कहना है कि इन टूल्स से संवेदनशील सरकारी डेटा लीक हो सकता है, जो काफी खतरनाक हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया ने भी सरकारी डिवाइस पर DeepSeek AI को इस्तेमाल न करने के निर्देश दिए हैं। अमेरिकी नौसेना ने भी ऑफिशियल और व्यक्तिगत रूप से DeepSeek के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका ने सबसे पहले DeepSeek के AI ऐप पर प्रतिबंध लगाया ।
कई देशों ने किया DeepSeek को बैन
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने इंटरनेट से जुड़े सैन्य कंप्यूटरों पर DeepSeek को ब्लॉक करने के आदेश दिए हैं। DeepSeek पर बैन लगाने वाले देशों में ताइवान भी शामिल है। वहीं इटली ने भी DeepSeek पर बैन लगाने का फैसला लिया है। इटली के डेटा सिक्योरिटी अथॉरिटी का कहना है कि इस AI मॉडल से देश के लाखों यूजर्स का डेटा कॉम्प्रोमाइज हो सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जब भी अमेरिका की बादशाहत को चुनौती मिलती है, उनके साथ सभी पश्चिमी पिछलग्गू और हीन भावना से ग्रस्त कुछ एक नकारात्मक entity को भी परिवर्तन, पारदर्शिता और प्रगतिशीलता को अपनाने के प्रयास और प्रयोग को प्रोत्साहन देने के बजाय इसे स्वीकार करने में भी झूठी तकनीकि प्रतिष्ठा खोने का कष्ट हो रहा है!
AI के क्षेत्र में कहां खड़ा है भारत
Altman से मुलाकात के बाद भारत के आईटी मंत्री, अश्विनी वैष्णव ने भी कहा है कि “भारत AI के क्षेत्र में तीन दिशाओं में एक साथ काम कर रहा है। जिसमें हमारा पूरा ध्यान चिप्स बनाने, फाऊंडेशनल मॉडल का निर्माण करने और AI एप्लीकेशन बनाने पर है।” उन्होंने यह भी कहा कि “भारत में अपना किफायती AI मॉडल विकसित करने की क्षमता है। जिस तरह हमने स्पेस अभियान में कम लागत से उपलब्धि हासिल की है, वह हम AI के क्षेत्र में भी कर सकते हैं। हमने मून मिशन के लिए बहुत कम लागत में यह काम कर दिखाया था। इस बात की पूरी संभावना है कि भारत अपने इन्नोवेटिव प्रयासों से हेल्थ केयर, शिक्षा, कृषि, मौसम पूर्वानुमान और डिजास्टर मैनेजमेंट के क्षेत्र में सस्ते एप्लीकेशन ला सकता है।”
इस सबके बीच रिलायंस इंडस्ट्री के चैयरमैन मुकेश अंबानी ने भी कहा है कि “रिलायंस इंडिया लिमिटेड की डिजिटल विंग JIO भारत में दुनिया का बेहतरीन AI इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने जा रहा है। भारत के लिए एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में देश को एक Deep Tech राष्ट्र में बदलने के लिए आज के समय में AI अपरिहार्य बन चुका है।” उन्होंने घोषणा की कि कोलकाता स्थित जियो के डाटा सेंटर को स्टेट ऑफ आर्ट, AI रेडी डाटा सेंटर बनाने का काम शुरू हो चुका है। और 9 माह में यह पूरी तरह तैयार हो जाएगा। वह बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के मौके पर बोल रहे थे। इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि AI के क्षेत्र में भारत लीड लेने में पिछड़ चुका है। जरूरत है तकनीक के क्षेत्र में दृष्टिकोण बदलने की। अपनी संपदा और डाटा का इस्तेमाल करते हुए भारत को टेक्नोलॉजी कंजप्शन मॉडल से आगे बढ़कर टेक्नोलॉजी प्रोडक्शन के क्षेत्र में तेज रफ्तार से आगे बढ़ने की जरूरत है। भारत अब दूसरों के लिए केवल बड़ा बाजार ही न बनकर रह जाए। भारत को खुद तकनीक के क्षेत्र में अपने लिए नया बाजार बनाने की जरूरत है। भारत ने जिस तरह स्पेस मिशन में अपनी पहचान बनाई है और कॉस्ट इफेक्टिव परिणाम दुनिया को दिए हैं, उसी तरह AI के क्षेत्र में भी नया प्रयास करने की जरूरत है।