Sunday, July 13, 2025
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World Bicycle Day 2025 : साइकिल चोरी की गुमशुदा ख़बर !

World Bicycle Day 2025

by KhabarDesk
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World Bicycle Day 2025

World Bicycle Day 2025 :  हाल ही में 3 जून को विश्व साइकिल दिवस था । हो सकता है कि इस ओर आपका ध्यान न गया हो। वैसे तो आमतौर पर मेरा भी ध्यान इस प्रकार से मनाए जाने वाले दिवसों पर नहीं जाता मगर न जाने क्यों उस रोज चला गया । अखबार से साइकिल दिवस की जानकारी मिलते ही सबसे पहले तो यही सवाल मन में कौंधा कि दशकों हो गए किसी अखबार में साइकिल चोरी की कोई खबर क्यों नहीं पढ़ी ? बीस तीस साल पहले तो लगभग रोज ही एक सिंगल कॉलम अथवा संक्षिप्त खबर साइकिल चोरी की मिल ही जाया करती थी ।

रवि अरोड़ा

क्या देश में अब साइकिलें खत्म हो गई हैं अथवा बदमाशों ने अब साइकिल चोरी करना बंद कर दिया है ? बस फिर क्या था , कई घंटे मशक्कत कर पूरे प्रदेश के आंकड़े टटोल डाले तो ले देकर केवल तीन मामले सामने आए । पहला सीतापुर का था जहां एक ऐसा चोर पकड़ा गया जो केवल साइकिलें चोरी करता था और उसने ढाई सौ से अधिक साइकिलें चोरी करने की बात कबूली थी । दूसरा मामला बस्ती जिले का था जहां साइकिल चोरी की बात इस लिए प्रकाश में आई कि चोर की उम्र मात्र आठ साल थी । तीसरा मामला एक पर्वतारोही की विदेशी साइकिल चोरी होने का निकला । जाहिर है ये मामले भी तब दर्ज हुए होंगे जब चोर पकड़े गए होंगे अन्यथा साइकिल जैसी मामूली चीज की चोरी की रपट लिखवाने हेतु थाने में घुसने की हिम्मत भी भला कोई कैसे कर सकता है ? क्या अब भी इस बात पर और चर्चा करने की जरूरत है कि कथित विकास के इस शोर में मुल्क के करोड़ों साइकिल सवारों की आवाज अब कहीं गुम हो चुकी है ?

कहां चले गए साइकिल चलाने वाले लोग ?

साल 2011 की जनगणना के अनुरूप देश में बारह करोड़ घरों में साइकिल थी । ग्रामीण क्षेत्रों में तो 68 फीसदी घरों में साइकिल पाई गई । सरल, किफायती और विश्वसनीय होने के कारण लोग साइकिल से प्रेम करते देखे गए । साइकिल सवारों की तादाद अब कितनी घटी अथवा बढ़ी है, यह तो आगामी जनगणना से ही पता चलेगा । मगर यह ट्रेंड तो साफ दिख रहा है कि आम आदमी साइकिल को गरीब की सवारी मान कर अब इससे पल्ला छुड़ाने की जुगत में है तो वहीं दूसरी तरह शिक्षित और संपन्न आदमी पर्यावरण की सुरक्षा और अच्छी सेहत की गरज से साइकिल का दीवाना हो रहा है। पिछले पांच छह सालों से लगभग हर साल दो करोड़ साइकिलें देश में बिक रही हैं और कोरोना काल में इसका ग्राफ सर्वाधिक तेजी से बढ़ा था। हालांकि मूल रूप से अभी भी साइकिल गरीब आदमी की ही सवारी है और यही कारण है कि इस मुल्क में साइकिल सवार की अब कोई अलग से श्रेणी भी नहीं बची है।

देश में पिछले साल हुई 1 लाख 73 हजार सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए 4 लाख 22 हजार और घायल 4 लाख 28 हजार लोगों ने से कितने लोग साइकिल सवार थे , साइकिल चोरी की तरह इसे भी कहीं अलग से दर्ज नहीं किया गया । देश की तमाम सड़कें मोटर वाहनों के हिसाब से ही डिजाइन की जाती हैं और साइकिल सवार की हैसियत अछूत सरीखी है। राजमार्गो पर तो साइकिल सवारों के चढ़ने की भी मनाही है। आंकड़े चुगली करते हैं कि देश की एक फीसदी सड़कें भी साइकिल सवारों के हिसाब से नहीं बनाई गईं जबकि उनकी तादाद किसी भी अन्य श्रेणी के वाहन चालकों से ज्यादा है। तो क्या क्या इस देश में साइकिल सवारों का कोई वाली वारिस नहीं है ? क्यों कोई राजनीतिक दल साइकिल सवारों की सुध नहीं लेता ? क्या ये साइकिल वाले वोट नहीं देते अथवा इनके वोट के लेने देने में उनकी साइकिल की कोई भूमिका नहीं है ?

यूरोप की तरह भारत में क्यों नहीं चलती साइकिल

World Bicycle Day

बहुत याद करें तो उत्तर प्रदेश में साल 2012 में बनी समाजवादी पार्टी की सरकार थोड़ी बहुत याद आती है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल को भुनाने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च कर साइकिल सवारों के लिए सड़कों पर अलग से ट्रैक बनाने की मुहीम शुरू की थी । यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था । लखनऊ, आगरा, नोएडा और गाजियाबाद में ऐसे इक्का दुक्का टूटे फूटे ट्रैक अब भी नजर आते हैं मगर उनकी सरकार के कार्यकाल में ही ये ट्रैक भ्रष्टाचार, अवैध कब्जों और गलत डिजाइन के चलते बेमानी हो गए थे । रही सही कसर योगी सरकार ने पूरी कर दी और सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर इन ट्रैक्स को बहुतायत में तोड़ दिया । इसके अतिरिक्त तो देश भर में साइकिल सवारों की सुध लेता कोई नेता नजर नहीं आता । तो क्या रौशनी की कोई किरण नहीं है ? है , अवश्य है। यदि देश का संपन्न आदमी यूरोप और चीन की तरह फैशन अथवा सेहत जैसे किसी कारण से साइकिल को अपना ले तो बात बन सकती है। पैसे वाले की आवाज में तो दम होता ही है और उसे तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने को तो शासन प्रशासन और सरकारें एक लाइन में खड़ी हो जाएंगी । हां यह जरूर है कि जब तक यह नहीं होता तब तक तो मुझे और आपको साइकिल चोरी की खबर अखबारों में ढूंढे से भी दिखाई नहीं पड़ेगी ।

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