Jhanjhan Mata Devi Temple: मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है माँ झनझन देवी मंदिर। छतरपुर महोबा रोड बसस्टैण्ड से मात्र आठ कलोमीटर की दूरी पर सड़क से बाईं ओर की कच्ची कंकरीली पथरीली सड़क से चल कर आप सीधे पहुँच जाते हैं माँ झनझन देवी के मंदिर। पहले यह दुर्गम मार्ग था अब काफी कुछ सुधार हो गया है किंतु पूरे विकास से ये अब भी उपेक्षित है। इस मंदिर की विशेषता ये है कि सौ फीट की ऊंची पहाड़ी की एक शिला पर स्वत: प्रकट देवी की वह मूर्ति है जिसे १०वीं से ११वीं सदी के बीच आल्हा-ऊदल के समय परमार वंश के राजाओं ने बनवाया था। यह पहले एक छोटी सी मढ़िया थी , जिसमें उसी पहाड़ी की प्रस्तर शिला पर स्वत: उभरी हुई मूर्ति को तराश कर देवी आदिशक्ति का रूप दिया गया था। ११वीं सदी में परमार वंश के राजाओं ने बनवाया था।
चमत्कार के किस्से डाल देते हैं हैरत में !
आप को यदि देवी के दर्शन करने जाना है तो अपने ही साधन से जाना बेहतर होगा । इस मंदिर के पीछे एक छोटा सा जलकुंड है जिसकी गहराई का कोई पता नही है । जिसमें हमेशा जल भरा रहता है उसमें सिक्का डालने पर नीचे से झनन्न झन्न की आवाज आती है जो करीब दस मिनट गूंजती रहती है। इस पहाड़ी के पत्थरों पर प्रहार करने पर भी झन्न की ही आवाज आती। इस पहाड़ी पर एक टोह है आज तक कोई उस तक नही पहुंच पाया है। शायद इस टोह का संबंध उस समय के आल्हा ऊदल से है जिसका वह युद्ध के समय छिपने के लिए प्रयोग करते रहे हों और माँ झनझन देवी उनकी पूज्य देवी हों । आल्हा तो देवी भक्त के नाम से प्रसिद्ध थे।
समय के साथ लोगों कि बढ़ी आस्था
समय के साथ इस दुर्गम मंदिर (Jhanjhan Mata Devi Temple) के किस्से दूर दूर तक पहुंचे और भक्त यहाँ आने लगे । मंदिर का ट्रस्ट बन जाने से अब यहाँ काफी कुछ सुधार हुआ है । पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिये लोगों कि सुविधा के लिए सीढ़िया बनवाई गई हैं। आसपास कई देवी देवताओं के मंदिर बन गये हैं । ऊपर पहाड़ी पर पानी की भी सुविधा पहुंचा दी गई है। आसपास का मनमोहक सुरम्य वातावरण आपको आध्यात्मिक अनुभूति कराता। चित्त का आनंद जो प्रकृति अपने नैसर्गिक सौंदर्य के माध्यम से आपको नई ताजगी दे ऊर्जा प्रदान करती है। पहाड़ी के नीचे सुंदर कमल के फूलों से भरा स्वच्छ निर्मल जल वाला तालाब और बावड़ी है ,आप उसमें स्नान करते हुये कमल के फूल लेकर देवी को चढ़ाने के लिये ले जायें और देवी दर्शन कर उन्हें चढ़ायें । प्रकृति का ये सुंदर स्वरूप आपको दैविय अनुभव से भर देगा। यहां का हर पत्थर बोलता सा लगता है अपने आप में न जाने कितने रहस्य छुपाये। न जाने कितने ऋषि मुनियों की तपस्थली रही होगी हम नही जानते। मां झनझनदेवी को अवश्य जानते हैं जो प्राचीन काल से ही एक प्रस्तर शिला पर उभरी और स्वत:प्रकट हुईं , इससे अधिक जानने की आवश्यकता भी नही। सरकार चाहे तो इस रमणीक स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में और विकसित कर सकती है ।