New IT Bill : निवेश को लेकर बाजार में कई तरह के माध्यम उपलब्ध हैं। बैंकिंग डिपॉजिट से लेकर शेयर मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग के साथ बुलियन मार्केट में यानी सोने चांदी में खरीद फरोख्त के साथ ही पिछले कुछ सालों से एक नया ट्रेंड चला है, क्रिप्टो करेंसी, डॉग करेंसी जैसे प्लेटफार्म पर निवेशको द्वारा इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग का। इसमें ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट के लिए भारतीय आयकर कानून के तहत आपको 30% राशि का भुगतान करना आवश्यक होता है। लेकिन कई निवेशक और ट्रेडर चोरी छुपे क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड और निवेश करते हैं। जिसको लेकर सरकार काफी सख्त रवैया अपनाने जा रही है।
देश में बिटकॉइन, डॉग कॉइन और क्रिप्टो करेंसी जैसे प्लेटफॉर्म्स पर डिजिटल निवेश और ट्रेडिंग का चलन काफी जोर पकड़ चुका है। ये ऐसी अनकंवेंशनल ट्रेडिंग प्रणालियां हैं जहां पर कई बार लोग आसानी से सरकारी एजेंसियों की नजरों से बचकर नियम कानून का उल्लंघन या टैक्स चोरी कर ट्रेडिंग कर रहे हैं। अब इस तरह की ट्रेडिंग करने वाले आसानी से बच नहीं पाएंगे। क्योंकि नए आयकर कानून ( New IT Bill ) के प्रस्तावित प्रावधान के अंतर्गत अब इनकम टैक्स अधिकारी शक होने पर ऐसे लोगों की ईमेल्स, चैट्स, व्हाट्सएप और सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक मैसेज देख सकेंगे।
संदेह होने पर अधिकारी देख सकेंगे व्हाट्सएप चैट्स ईमेल और सोशल मीडिया
यदि अधिकारियों को अघोषित क्रिप्टोकरेंसी होल्डिंग्स पर संदेह होता है तो विधेयक, 2025 के एक प्रस्ताव द्वारा अधिकारियों को ईमेल और व्हाट्सएप चैट जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुंचने की अनुमति दी गई है। ये नया आयकर विधेयक (New IT Bill) ,1961 के आईटी अधिनियम की जगह लागू होगा,जो मौजूदा सर्च और जब्ती प्रावधानों को डिजिटल दायरे में जांच करने के अधिक अधिकार देता है, जिससे अधिकारियों को वर्चुअल संपत्ति का निरीक्षण करने की अनुमति मिलती है। अगर उनके पास यह विश्वास करने का कारण होता है कि किसी व्यक्ति ने टैक्स योग्य आय छुपाई है तो वह हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जांच कर सकते हैं।
क्रिप्टो करेंसी पर लगता है 30% टैक्स
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रस्ताव टैक्स चोरों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में खामियों का फायदा उठाने से रोक सकता है, भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग में तेजी आ रही है। और ऐसे में टैक्स चोरी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर लाभ पर 30 प्रतिशत की समान दर से टैक्स लगाया जाता है, जिसमें स्रोत पर 1 प्रतिशत टैक्स कटौती (टीडीएस) होती है।
आम निवेशक को घबराने की जरूरत नहीं
लेकिन इससे किसी आम व्यक्ति, निवेशक या फिर किसी भी व्यक्ति जो क्रिप्टोकरंसी या इस तरह के डिजिटल ट्रेडिंग कर रहा है उसे घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ऐसा उन्हीं मामलों में होता है जिसमें टैक्स चोरी की पुख्ता जानकारी विभाग के पास होती है। प्रस्तावित कानून में कहा गया है कि यदि आवश्यक हो तो संयुक्त आयुक्त स्तर से ऊपर के अधिकारी किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच बना सकते हैं। इसमें टैक्स चोरी के सबूत इकट्ठा करने के लिए क्लाउड स्टोरेज इंक्रिप्टेड संचार चैनल और डिजिटल एसेट एक्सचेंज तक पहुंच शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए दौर के बदलते ट्रेडिंग तरीकों के कारण यह कदम तकनीकी प्रगति के साथ टैक्सेशन पावर के हाथ मजबूत करने के लिए जरूरी है ताकि क्रिप्टोकरंसी जैसी आभासी डिजिटल संपत्तियां जांच से बच ना पाएं। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यह गोपनीयता का मुद्दा नहीं है क्योंकि कोई भी अधिकारी किसी कभी भी रेंडम तरीके से किसी भी ईमेल या सोशल मीडिया अकाउंट तक पहुंच हासिल नहीं कर सकते। वह ऐसा तभी कर सकते हैं जब उनके पास यह करने का पुष्ट कारण हो कि आप कोई आय छुपा रहे हैं और संयुक्त और मुख्य आयुक्त से अनुमति मिलने के बाद ही इस तरह की जांच पड़ताल हो सकती है।
सर्च का डिजिटल दायरा बढ़ाया
हालांकि बता दे की टैक्स चोरी को रोकने के लिए यह शक्तियां कोई नई नहीं हैं। कानून में पहले से ही अधिकारियों को तलाशी और जब्ती की कार्रवाई के दौरान इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का निरीक्षण करने की अनुमति है। नया बिल बस New IT Bill इसे वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक विस्तारित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अज्ञात क्रिप्टोकरंसी होल्डिंग्स कानून की नजर से बच ना पाए।
विधेयक की धारा 247 अधिकृत अधिकारियों को कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस के एक्सेस कोड को ओवरराइड करके पहुंच प्राप्त करने की इजाजत देती है, जो पहले से मौजूद प्रावधानमें भी है। IT अधिकारियों को कोई अतिरिक्त शक्ति नहीं दी गई है।
वर्तमान में, आईटी अधिनियम की धारा 132 अधिकृत अधिकारियों को ऐसे किसी भी व्यक्ति को, जिसके पास इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में किताबें, खाते या अन्य दस्तावेज पाए जाते हैं, ऐसे दस्तावेजों का निरीक्षण करने के साथ-साथ ऐसे दस्तावेजों को जब्त करने की अनुमति देती है।
धारा 132 के तहत, इस तरह के संचालन के लिए संयुक्त आयुक्त रैंक से ऊपर के अधिकारी की मंजूरी की आवश्यकता होती है। जानकारों का कहना है,अधिकारी संदिग्ध टैक्स चोरी के लिए एक मजबूत मामला पेश किए बिना, निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना और आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किए बिना आपके एक्सेस कोड को ओवरराइड नहीं कर सकते।
सर्च और जब्ती की प्रक्रिया के दौरान, अधिकारी डेस्कटॉप, मोबाइल, लैपटॉप, हार्ड डिस्क ड्राइव, स्टोरेज सर्वर सॉफ्टवेयर एज़ ए सर्विस (सास) क्लाउड, एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सिस्टम में डिजिटल स्पेस में कर संबंधी सबूतों तक पहुंच सकते हैं। New IT Bill के प्रावधान के मुताबिक वे ईमेल, व्हाट्सएप, टेलीग्राम जैसे संचार प्लेटफार्मों और क्रिप्टोकरेंसी जैसी वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों तक भी पहुंच सकते हैं।
New IT Bill ये आयकर विधेयक संसद में पेश किया गया है और एक चयन समिति द्वारा इसकी समीक्षा की जा रही है, जो इसे अंतिम रूप देने से पहले हितधारकों के साथ चर्चा करेगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है, खासकर छोटे शहरों में। रॉयटर्स ने एग्रीगेटर कॉइनगेको के डेटा का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट में कहा कि देश के चार सबसे बड़े एक्सचेंजों पर बिटकॉइन, एथेरियम, डॉगकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी का ट्रेडिंग वॉल्यूम दिसंबर तिमाही में तिमाही-दर-तिमाही दो गुना से अधिक बढ़कर 1.9 बिलियन डॉलर हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, भारत का क्रिप्टो बाजार 2024 में 2.5 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2035 में 15 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है।