Sunday, July 13, 2025
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Navratri : नवरात्रि का अष्टम दिवस, महागौरी का अवतरण

by KhabarDesk
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Navratri: नवरात्रि के अष्टम दिवस पर  मन में जिज्ञासा लिये उमड़ता प्रश्न ?
महाकाली का आखिर काली से गौरी में रूपांतरण क्यों और कैसे हुआ ! देवी भागवत के अनुसार नौ दुर्गा में शक्ति की अवधारिणी माता पार्वती के ही सारे रूप है। तप के बल पर शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिये उनका तन काला पड़ गया। महिषासुर-मर्दिनी,चंड -मुंड विनाशिनी ,रक्त बीज का संहार करने के लिये खप्पर धारिणी अंत में शुम्भ निशुम्भ को मारने वाली माता महाकाली के रूप को धारण करने वाली देवी काली जब अपने पति शिव जी के पास आईं‌ तो उनके इस वीभत्स रूप को देख कर शिव जी हास परिहास करते हुये समय असमय उन्हें काली कह कर चिढ़ाने लगे। एक दिन खीज़ कर देवी यह कहते हुये कि अब मैं उज्वल गौर वर्ण वाली गौरी बन कर ही आपके पास आऊंगी कहती हुई अपने पिता हिमवान के पास चली गईं।

वहां पहुंच कर वह कायाकल्प करने वाले गंधर्वों के पास गईं । गंधर्व देवी की इच्छा पूर्ण करते हुये अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धति और जड़ी बूटियों के लेपन के पश्चात उन्हें शीतल जल के मानसरोवर में स्नान करवाते, इसके बाद देवी तपस्या करतीं। इस प्रकार से तप एवं कठिन उपचार एवं मानसरोवर के शीतल जल में स्नान करने से उनका रंग काले के स्थान पर उज्जवल गौर वर्ण का हो गया ।

अपने गौरवर्ण के साथ गौरी बन कर जब वह शिव जी के पास लौट कर आईं तो शिवजी ने उन्हें महागौरी कहते हुये उनका प्रेम पूर्वक स्वागत कर अपने पार्श्व में स्थान दिया । इस तरह देवी का विद्युत कांतिवान वर्ण हो जाने से उनका नाम महागौरी हुआ। महागौरी अमोघ फलदायिनी और भक्तों के पापों का हरण करने वाली हैं। इनकी उपासना से पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। गौरवर्ण के कारण इनकी उपमा शंख ,चंद्र और कुंद पुष्प से की जाती है ।

वृषभ वाहिनी चार भुजाओं वाली श्वेत दिव्य वस्त्र धारिणी श्वेत आभूषण पहने देवी का दिव्य स्वरूप चेहरे पर अद्भुत शांति लिये है। चार भुजाओं के साथ दाहिना ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में तथा नीचे के हाथ में त्रिशूल लिये हैं । बाईं ओर के ऊपरी हाथ में डमरू तथा नीचे क का हाथ वरद मुद्रा में है। इनकी कृपा से साधक को अलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं । शाक्त मतानुसार सात चक्रों का भेदन कर स्थूल शरीर को पुष्ट करने हेतु दैहिक शक्ति प्राप्त होती है । दूसरी ओर सूक्ष्म शरीर की बुराईयां दैहिक शरीर की शक्ति को नष्ट कर देती है अत: उनका वध आवश्यक है तभी देवी अपने अष्टम रूप में महागौरी बन कर शिव की अर्द्धांगिनी बन पाईं ।
*सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते* ।।
जै माता महागौरी की । सभी का कल्याण करें ।
उषा सक्सेना

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