Delhi Assembly Election : आने वाले महीनो में दिल्ली में चुनाव होने जा रहा है। चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली चुनाव की चर्चा देश भर में होना लाजमी है। चुनाव के वक्त जब राजनीतिक पार्टियों के लिए एक-एक वोट अहम हो जाता है, ऐसे में जनता के लिए भी यह एक मौका होता है जब वह सालों से अनसुलझे पड़े अपने मुद्दों को उठाती है और उसके लिए दबाव भी बनाती है। दिल्ली के 360 गांव भी अपनी मांगों को लेकर इस बार चुनाव बहिष्कार का मन बना रहे हैं। लंबे समय से भूमि सुधार और उचित मुआवजा नहीं मिल पाने के कारण दिल्ली के 360 गांवों के मतदाता 22 दिसंबर को उत्तर पश्चिमी दिल्ली में एक महापंचायत करने जा रहे हैं जहां वे अपनी समस्याओं को उठाते हुए चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर सकते हैं।
दिल्ली के 360 गांव कर सकते हैं चुनाव का बहिष्कार
दिल्ली के गांव के लोगों ने अपने इस अभियान को “गांव – देहात बचाओ यात्रा” का नाम दिया है। इस अभियान के जरिए वे वर्षों से लंबित पड़े अपने मुद्दों के समाधान के लिए आवाज उठा रहे हैं। ग्राम वासियों का कहना है, हमारे कई मुद्दे सरकार की वजह से लंबित पड़े हैं जिनमें भूमि सुधार,हाउस टैक्स और जमीन अधिग्रहण के बदले उचित मुआवजा न मिलने के मुद्दे प्रमुख हैं। इन 360 गांवों के लोगों का मानना है चुनाव को लेकर महापंचायत में जो भी फैसला होगा वह सबके लिए मान्य होगा। हो सकता है हम उस पार्टी के लिए वोट दें जो हमारे मुद्दे सुलझा दें या फिर हम पूरी तरह से चुनाव का बहिष्कार भी कर सकते हैं।
सरकार ने नहीं सुलझाया भूमि मुआवजे का मुद्दा
पालम 360 खाप के मुखिया चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने मीडिया से बातचीत में बताया “हम अपने मुद्दों को लेकर आप पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मिले पर हमें कोई समाधान नहीं मिल पाया। फिर हम एलजी वी के सक्सेना से मिले तब हमारी तीन-चार समस्याओं का समाधान हुआ, जिनमें जमीन नामांतरण (म्यूटेशन), दिल्ली ग्रामोदय अभियान के तहत फंड रिलीज, बिजली मीटर लगाने के लिए DDA द्वारा एनओसी के लिए शर्तों की समाप्ति, ग्राम सभा की जमीन निजी संस्थाओं को सौंपने के मुद्दे शामिल हैं। लेकिन अभी भी कई मुद्दों का समाधान नहीं हो पाया है। सन 2000 के समय से कई गांवों की जमीने सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई थीं, उसके बदले सरकार द्वारा वैकल्पिक प्लॉट देने की बात थी पर अभी तक उस पर अमल नहीं किया गया है ।” आपको बता दें दिल्ली में पिछले 10 वर्षों से आप पार्टी की सरकार है। दिल्ली चुनाव में इस बार मुख्य रूप से तीन राजनीतिक दल अपनी ताल ठोक रहे हैं, जिसमें सत्ताधारी पार्टी आप, विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस शामिल हैं।