Healthy Cooking Oil : स्वस्थ जीवन शैली के लिए स्वस्थ आहार के साथ खाना पकाने का तेल भी स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। नहीं तो ना तो खाने के पूरे पोषक तत्व मिल पाएंगे और न ही शरीर में रोगों से लड़ने की सही क्षमता आएगी। यही वजह है कि खाने के तेल को लेकर भी लोग काफी जागरूक हो रहे हैं।
कौन सा तेल खाना चाहिए और कौन सा नहीं, इस विषय पर हमेशा ही बहस चलती रहती है। जो खाद्य तेल पहले रिकमेंड किए जाते थे, कुछ साल बाद हेल्थ एक्सपर्ट उन्हें न खाने की सलाह देने लगे। जैसे लगभग दो दशक पहले वनस्पति घी के बुरे प्रभाव बता कर रिफाइन तेल खाने की सलाह दी जाती थी। पर अब कुछ वर्षों से हेल्थ एक्सपर्ट इसके मेकिंग प्रोसेस की वजह से इस तेल को सेहत के लिए ठीक नही बता रहे हैं। भारत में (Mustard Oil) सरसों का तेल भरपूर इस्तेमाल होता है, लेकिन कई यूरोपीय देशों में यह बैन है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि हमारी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए कौन सा तेल अच्छा है।
दरअसल किसी भी तेल का खाने में हेल्दी उपयोग उसके हीटिंग पॉइंट यानी के स्मोक पॉइंट पर भी निर्भर करता है। खाना तेल में किस तरह से पकाया जाता है, यह बहुत कुछ खाना पकाने के तरीके पर निर्भर करता है। जैसे भारत और यूरोप में खाना पकाने का तरीका बहुत अलग है। भारत में छौंक, डीप फ्राइंग, शैलो फ्राइंग (shallow frying) के लिए तेल का इस्तेमाल ज्यादा होता है। जबकि यूरोपीय देशों में ड्रेसिंग,slow cooking , saute और baking में ज्यादा किया जाता है। जिसमें तेल को कम पकाने की आवश्यकता पड़ती है। वहां तेल ऊपर से भी डाला जाता है, और डीप फ्राइंग काफी कम होती है। ऐसे में अलग-अलग तरह के तेल खाने में इस्तेमाल किए जाते हैं। कुछ समय से उच्च तापमान में तैयार किए गए तेलों को सेहत के लिए बुरे प्रभाव वाला माना जा रहा है और हेल्थ एक्सपर्ट कोल्ड प्रेस्ड तेलों की वकालत कर रहे हैं।
क्या है कोल्ड प्रेस्ड ऑयल
कोल्ड प्रेस्ड तेल (Cold Pressed Oil) हॉट प्रेस्ड (Hot pressed Oil) तेलों की तुलना में ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक और अधिक पौष्टिक (Healthy Cooking Oil) माने जाते हैं। और आजकल पूरी दुनिया में कोल्ड प्रेस्ड तेल की मांग और खपत बढ़ गई है। कोल्ड प्रेस्ड तेल निकालने के लिए बीजों या तिलहनों को रूम टेंपरेचर पर प्राकृतिक रूप से दबाकर तेल प्राप्त किया जाता है। इसमें किसी भी तरह की एक्स्ट्रा हीट या रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता। तेल बनाने की पारंपरिक और प्राकृतिक प्रक्रिया के कारण इस तेल को काफी सेहतमंद माना जाता है। इसमें एसिड वैल्यू भी काफी कम होती है। तेल निकालने का ये सबसे पुराना तरीका है। अध्ययन में पाया गया है कि 5000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के लोग भी इसी विधि से तेल निकालते थे । हड़प्पा में तेल निकालने के प्राचीन यंत्रों के अवशेष पाए गए हैं।
आपने भी कच्ची घानी, कोल्हू का तेल, चक्कू ऐसे शब्द जरूर सुने होंगे। दरअसल भारत में सदियों से इन विधियों द्वारा कोल्ड प्रेस्ड तेल ही निकाला जाता रहा है। तेल निकालने के लिए एक लंबे बेलनाकार उपकरण का इस्तेमाल किया जाता था, जिसे घानी कहा जाता है। घानी पत्थर या लकड़ी से बना एक मोर्टार और मूसल उपकरण था, जिसका उपयोग तिलहन कुचलने के लिए किया जाता था। इस विधि से प्राप्त तेल को कोल्ड प्रेस्ड तेल कहा जाता है। जबकि हॉट प्रेस्ड तेल को 200°c तक के उच्च ताप पर केमिकल सॉल्वेंट का उपयोग कर निकाला जाता है। जिसमें केमिकल और उच्च ताप की वजह से अधिकांश पोषक तत्व और प्राकृतिक स्वाद खत्म हो जाता है, जबकि कोल्ड प्रेस्ड ऑयल में पोषण और स्वाद बरकरार रहता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जबकि हॉट प्रेस्ड ऑयल में एंटीऑक्सीडेंट्स नहीं होते। कोल्ड प्रेस्ड में तेल में विटामिन ई की मात्रा भी अधिक होती है जो इम्यूनिटी को बढ़ाता है। हालांकि कुछ बीजों जैसे Rapeseed, कनोला, सोयाबीन, Corn ,सनफ्लावर और Safflower से कोल्ड प्रेस्ड विधि से तेल नहीं निकाला जा सकता। खाना पकाते समय कोल्ड प्रेस तेलों में झाग या गाद नहीं बनती। जबकि हॉट प्रेस्ड तेल में आप यह झाग पाएंगे। कोल्ड प्रेस्ड तेल में खाना पकाते समय आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि इन तेलों को मध्यम या हल्की आंच पर ही पकाएं। यदि आप इसे तेज आंच पर पकाएंगे तो इसमें मौजूद अनसैचुरेटेड फैट टूट कर इसे अनहेल्दी कर सकते हैं।
सेहत के लिए कौन सा तेल है बेहतर Healthy Cooking Oil
1 Olive Oil : लंबे समय से सेहत के लिए ऑलिव ऑयल या जैतून का तेल खाना पकाने के लिए अच्छा माना जाता है। ओलिव ऑयल का स्मोक पॉइंट 176°c होता है। जिसको मीडियम स्मोक पॉइंट माना जाता है। इस तेल का इस्तेमाल खाना पकाने और पके हुए खाने या सलाद में ड्रेसिंग के तौर पर भी किया जा सकता है। आमतौर पर इसे बेकिंग, saute करने या कोल्ड ड्रेसिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। यह एक बहु उपयोगी तेल है जो खाने के मूल स्वाद को बरकरार रखते हुए उसकी न्यूट्रिएंट वैल्यू बढ़ाता है। ऑलिव ऑयल यानी जैतून का तेल विटामिन ए से भरपूर होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। इसमें ओलिक एसिड (Oleic Acid) पाया जाता है। शोध में पाया गया है कि ओलिक एसिड में एंटी कैंसर और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। ऑलिव ऑयल में ऐसे एंटीऑक्सीडेंट कंपाउंड्स होते हैं जो रक्तचाप (blood pressure) और बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में सहायक हैं। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि ऑलिव ऑयल में हार्ट हेल्दी कंपाउंड होते हैं, जो हार्ट हेल्थ को बेहतर करते हैं। ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल से मोटापा (Obesity) मेटाबॉलिक सिंड्रोम और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
2 अवाकाडो ऑयल (Avocado Oil ): अवाकाडो ऑयल भी ऑलिव ऑयल के ही समान होता है। लेकिन अभी यह तेल ऑलिव ऑयल जितना लोकप्रिय तो नहीं है, लेकिन इसके हेल्थ बेनिफिट्स जानने वाले इस तेल को गुणों का खजाना मानते हैं। 271°c स्मोक पॉइंट के कारण इस तेल को हाई हीट कुकिंग High heat cooking और डीप फ्राइंग के लिए बढ़िया माना जाता है। ओलिव ऑयल की तरह ही इसमें भी एंटीऑक्सीडेंट कंपाउंड्स होते हैं जो दिल को हेल्दी रखने में सहायक होते हैं। अवोकेडो ऑयल का स्वाद न्यूट्रल होता है, जिससे इसमें मीठे और नमकीन दोनों ही व्यंजन स्वादिष्ट बनते हैं। Avocado ऑयल की बेहतर गुणवत्ता और पोषण, उसे उगाने की जगह और तेल निकालने के सही तरीके पर भी निर्भर करती है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि अवोकेडो तेल में मौजूद कंपाउंड्स लिवर हेल्थ के लिए भी अच्छा है होता है। यह रक्तचाप को कम करता है और LDL यानी खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राई ग्लिसराइड को कम करने में मदद करता है। जिससे हृदय रोग और हृदयघात का खतरा भी कम होता है। AVOCADO ऑयल ओस्टियोआर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द को भी कम करने में सहायक होता है। Avocado तेल में पके खाने के पोषक तत्व भी शरीर में अच्छी तरह अब्जॉर्ब होते हैं, साथ ही ये तेल फ्री रेडिकल (Free Radicals) से कोशिकाओं की रक्षा करने में भी सहायक होता है।
3 Sesame Oil तिल का तेल : तिल के तेल का प्रयोग भारत के कई प्रांतो में किया जाता है। तिल के तेल का स्मोक पॉइंट 210°c होता है जो मध्यम से उच्च ताप वाला होता है। इसमें हृदय को स्वस्थ रखने वाला एंटीऑक्सीडेंट सीस्मोल (Sesamol)और सेसमिनोल (Sesaminol) भरपूर मात्रा में होता है। जो अपने न्यूरो प्रोटेक्टिव (Neuroprotective ) प्रभाव के कारण पार्किंसन जैसी बीमारियों से लड़ने में मददगार हो सकता है। ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी यह तेल सहायक माना जाता है। खाना पकाने के अलावा सलाद ड्रेसिंग में भी इसका उपयोग किया जाता है। तिल का तेल खरीदते समय आपको इस बात का ध्यान रखना है अगर आप भुने हुए तिल (Toasted Sesame Oil) का तेल ले रहे हैं तो इस तेल का इस्तेमाल कुकिंग की अपेक्षा ड्रेसिंग में करना चाहिए
4 Mustard Oil: भारतीय रसोई में सरसों का तेल बरसों से इस्तेमाल हो रहा है। सरसों का तेल अपनी झांज के कारण भोजन को अच्छा स्वाद तो देता ही है साथ ही इसके कई स्वास्थ्य बेनिफिट्स भी हैं। सरसों का तेल मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा होता है। सरसों का तेल सरसों के बीजों से निकाला जाता है। तीन तरह के सरसों के बीज होते हैं,जिससे तेल का रंग भी निर्धारित होता है।इसे काली सरसों (ब्रैसिका नाइग्रा), पीली सरसों (ब्रैसिका अल्बा) या भूरी सरसों (ब्रैसिका जंसिया) से निकाला जाता है। सरसों के तेल में जीवाणुरोधी, एंटीफंगल, एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। सरसों का तेल ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होता है। इन फैटी एसिड का सही मात्रा में सेवन करने से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। सरसों का तेल खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।
इसमें मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड रक्तचाप और सूजन को भी कम करता है। सरसों का तेल पित्त और गैस्ट्रिक एसिड जैसे पाचक रसों के स्राव में मदद करता है, जो पोषक तत्वों को टूटने और शरीर में अवशोषित होने में सक्षम बनाता है। पाचक रस अपच, सूजन और पेट फूलना कम करते हैं। सरसों के तेल में गर्म गुण भी होते हैं। यह पाचन तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है और इसकी कार्यप्रणाली में सुधार करता है। सरसों के तेल के जीवाणुरोधी गुण (antibacterial properties) इसे आंतरिक और बाहरी संक्रमणों के खिलाफ प्रभावी बनाते हैं। सरसों के तेल में लिनोलेनिक एसिड अच्छी मात्रा में होता है, जिसमें कैंसर रोधी प्रभाव होता है। इसके अलावा, ग्लूकोसाइनोलेट कैंसरजन्य प्रभावों को कम करने में भी मदद करता है। एक अध्ययन के अनुसार, सरसों के तेल में मौजूद सल्फोराफेन कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ काम करता है। सरसों के तेल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। इसलिए, इसके सेवन से शरीर में ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ता है। खाना पकाने के लिए सरसों के तेल में smoke point काफी अधिक होता है, जो इसे भारतीय कुकिंग के लिए तलने, भूनने आदि जैसे खाना पकाने के तरीकों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। अपने खान-पान में किसी बदलाव से पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।