Sunday, July 13, 2025
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कब हैं बसंत पंचमी का त्यौहार 2 या 3 फरवरी को ? जाने पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त

Basant Panchami

by KhabarDesk
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Basant Panchami

Basant Panchami 2025: विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की पूजा प्रत्येक वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को की जाती है । इस दिन विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। बहुत से जगह पर इस त्यौहार को श्री पंचमी या फिर सरस्वती पंचमी के नाम से भी जान जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की पूजा विधि विधान और मनोयोग से करने से बुद्धि ,कला, ज्ञान की प्राप्ति होती है और छात्रों को अपने करियर में सफलता प्राप्त होती है। इस वर्ष पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। जानते हैं बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारें में ।

(Basant Panchami 2025) बसंत का त्यौहार:

धरती जब पीले फूलों की चादर ओढ़ कर बसंती रंग में रंग जाती है, समझिए कि बसंत ऋतु ने अपनी दस्तक दे दी है। प्रकृति का यह परिवर्तन ऋतु परिवर्तन के साथ-साथ सभी के हृदय को आनंद उत्सव से भी भर देता है। इसी बसंत ऋतु के आगमन और हर्षोल्लास का त्यौहार बसंत पंचमी है। इसी दिन विद्या, कला और वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में संगीत ,कला और शिक्षा की देवी मां सरस्वती को बताया गया है। मां सरस्वती की पूजा का विशेष विधान है, पुराणों में इसे बसंत पंचमी या श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। किसी-किसी स्थान में इसे सरस्वती पंचमी के नाम से भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान, कला और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।

पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी रविवार को सुबह 9:14 पर होगी, और वही दूसरी तरफ पंचमी तिथि का समापन 3 फरवरी को सुबह 6:52 पर होगा। ज्योतिषियों की माने तो उदय तिथि के अनुसार बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी मुहूर्त की बात की जाए तो 2 फरवरी की सुबह 7:09 से लेकर दोपहर के 12:35 तक पूजन के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। सभी के लिए 5 घंटे 26 मिनट का पूजन का समय मिलेगा।

पूजन विधि:

बसंत पंचमी की सुबह प्रातः स्नान करके पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद किसी साफ स्वच्छ जगह पर पीले रंग के आसन पर गणेश जी के साथ माता सरस्वती की चित्र या मूर्ति की स्थापना करें। माता सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें, पीले फूल अर्पित करें, और माता को श्रृंगार का सामान भी अर्पित कर सकते हैं। पीले रंग के चावलों से माता के लिये रंगोली बनाएं।सरस्वती माता को आम के बोर भी अर्पित किए जाते हैं, जिसे आम मंजरी भी कहा जाता है। इसके साथ माता सरस्वती को फल, फूल, धूप, दीप, नैवेध्य आदि अर्पित करें। माता सरस्वती के बीज मंत्रों का जाप करें। माता सरस्वती का विशेष मंत्र है’ ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं महा सरस्वतैय नम:’ का 108 बार जाप करें। भोग में आप पीली मिठाई, बेसन के लड्डू, पीले चावल,खीर या बूंदी का भोग लगा सकते हैं। अंत में माता सरस्वती की आरती करने के बाद सभी में भोग प्रसाद का वितरण करें और स्वयं भी खाएं।

आप अपने मन में संकल्प ले की इस दिन अपके अंदर ज्ञान का विकास हो,जीवन मे शुद्धता,कलात्मकता,अध्यन,संगीत,नृत्य और ज्ञान का प्रसार हो। मां सरस्वती के वास्तविक स्वरुप को समझ कर उसको अपने जीवन में आत्मसात करे।

बबीता आर्या

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