Ajay Devgn Pan Masala Notice : फिल्मी हीरो हीरोइन जब भी किसी प्रोडक्ट के लिए विज्ञापन में प्रचार करते हैं, तो खासतौर पर युवाओं का ध्यान उस एड की तरफ जरूर खिंच जाता है और अपने हीरो को अपना आइडल मानने वाले, उन्हें पसंद करने वाले युवा फैंस उस प्रोडक्ट से भी प्रभावित हो ही जाते हैं। खास तौर पर जब पान मसाले का विज्ञापन फिल्मों के एक्शन हीरो अपने चिर परिचित फिल्मी अंदाज में करते हैं तो उस प्रोडक्ट को भी मनचाही पब्लिसिटी मिल ही जाती है। आपने भी टीवी और रेडियो पर विमल पान मसाला के प्रचार में ये मशहूर लाइन कभी ना कभी जरूर सुनी होगी। “दाने-दाने में है केसर का दम” और साथ ही जष अजय देवगन कहते हैं “बोलो जुबां केसरी” तो भी आपका ध्यान जरूर खिंचा होगा। इतना ही नहीं पान मसाले के एड में बड़े-बड़े एक्शन हीरो की दमदार तस्वीरें भी आपने होर्डिंग पर जरूर देखी होगीं। लेकिन पान मसाले की यही टैगलाइन अब इन कलाकारों और पान मसाला कंपनी को महंगी पड़ सकती है।
कंज्यूमर फोरम ने पान मसाला के भ्रामक प्रचार के लिए भेजा नोटिस
जयपुर के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ( District Consumer Dispute Redressal Commission, Jaipur II ) ने फ़िल्म कलाकार शाहरुख खान, अजय देवगन, टाइगर श्रॉफ और विमल पान मसाला के निर्माता जेबी इंडस्ट्रीज को पान मसाला के भ्रामक प्रचार करने के मामले में नोटिस भेजा है। कमीशन के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीणा और कमीशन की सदस्य हेमलता अग्रवाल ने संबद्ध फ़िल्मी कलाकारों और पान मसाला कंपनी को 19 मार्च को कमीशन के सामने पेश होने का आदेश दिया है।
जयपुर के वकील ने दर्ज की शिकायत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभिनेताओं द्वारा पान मसाले के विज्ञापन को लेकर जयपुर के एक वकील योगेंद्र सिंह बडियाल ने कंज्यूमर कमिशन में शिकायत दर्ज करते हुए दावा किया है कि ये फिल्मी कलाकार विज्ञापन में प्रचार कर रहे हैं कि विमल पान मसाले में केसर मिलाया जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि केसर का दाम 4 लाख रुपए प्रति किलो है। गुटखा के एक पैकेट की कीमत मात्र 5 रूपये है ऐसे में इस कीमत में केसर तो क्या केसर की खुशबू भी पान मसाले में मिलाना नामुमकिन है। वकील ने कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 2019 की दो धाराओं के तहत मामला दर्ज करवाया है। धारा 35 और धारा 89 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन धाराओं के मुताबिक कोई भी प्रोडक्ट निर्माता या सेवा प्रदाता अगर गलत या भ्रामक विज्ञापन देता है जो उपभोक्ताओं के हित के लिए हानिकारक है तो उसे 2 साल तक की सजा और अधिकतम 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। याचिका कर्ता का यह भी कहना था कि पान मसाला की टैगलाइन है “दाने-दाने में है केसर का दम” और इस टैगलाइन के दम पर ही पान मसाला कारोबारी करोड़ो का व्यवसाय कर रहे हैं। क्योंकि आम उपभोक्ता यह प्रचार देखकर यही समझता है कि इस पान मसाले में केसर है और वह पान मसाला खरीदता है, जबकि इस तरह के पान मसाले से सेहत पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और इससे कैंसर भी हो सकता है। याचिका कर्ता का यह भी कहना था कि यह कलाकार व पान मसाला कंपनी भी अच्छी तरह जानते हैं कि पान मसाला स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। फिर भी केसर का नाम लेकर लोगों को पान मसाला खाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जो पूरी तरह भ्रामक है। पान मसाले में केसर के नाम पर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
19 मार्च को कंज्यूमर कमीशन ने अभिनेताओं और कंपनी को किया तलब
Ajay Devgn Pan Masala Notice अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले पर पान मसाला कंपनी और यह अभिनेता क्या सफाई देते हैं। वाकई पान मसाला में केसर है या नहीं यह तो कंपनी के अधिकारी ही बता सकते हैं। पूर्व में भी इस तरह के भ्रामक प्रचार के मामले सामने आ चुके हैं जिसमें अदालत कई सिलेब्रिटीज पर जुर्माना भी लगा चुकी है या उनसे जवाब तलब कर चुकी है ।
पहले भी उठ चुके हैं भ्रामक प्रचार के मामले
पूर्व में भी कई बार कई उत्पादों को लेकर गलत प्रचार के मामले सामने आ चुके हैं जिसमें कई अभिनेताओं को अपनी सफाई भी देनी पड़ी थी। ऐसे ही एक मामले में कुछ साल पहले मध्य प्रदेश के जबलपुर के उपभोक्ता फोरम ने अमिताभ बच्चन और नवरत्न तेल निर्माता कंपनी इमामी के भ्रामक प्रचार को लेकर दायर किए गए परिवाद पर जवाब-तलब करते हुए पूछा था कि नवरत्न ठंडा-ठंडा, कूल-कूल कैसे है ? याचिका कर्ता का कहना था कि तेल का प्रचार करते हुए अमिताभ बच्चन कहते हैं कि यह तेल ठंडा-ठंडा, कूल-कूल है, मगर यह नहीं बता रहे हैं कि ऐसा क्यों है। यह भी नहीं बताया जा रहा है कि इस तेल में कौन-कौन सी जड़ी बूटियां हैं। भ्रामक विज्ञापनों के मामले में बाबा रामदेव के पतंजलि पर भी 11 लाख का जुर्माना लग चुका है।
सेलिब्रिटीज द्वारा इन तमाम तरह के प्रोडक्ट्स के प्रचार को लेकर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं । एक सवाल यह भी उठता है कि क्या यह अभिनेता या सेलिब्रिटी स्वयं पहले इन उत्पादों का प्रयोग करते हैं और उसके बाद वे जनता को इसे खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं ? या फिर केवल कंपनी के कहने मात्र से वह पैसों के लिए इस तरह का प्रचार करते हैं ।